Saturday, 22 February 2014

Himachal ki shaan AARUSHI SHARMA

Devender Bilaspuri  Sundernagar

कामयाबी की उड़ान भरती आरुषि शर्मा

आरुषि ने मात्र नौ वर्ष की आयु से ही बास्केटबाल खेलना शुरू कर दिया था। बास्केटबाल कोच नीलम व श्याम से बास्केटबाल की बारीकियां सीखते हुए आरुषि ने खेलने-कूदने की उम्र में कड़ा परिश्रम करना शुरू कर दिया…
UTSAVछोटी उम्र में ही बिलासपुर की एक खिलाड़ी ने खेल क्षेत्र में बड़ा नाम कमा लिया है। महज पंद्रह वर्षीय बिलासपुर की आरुषि शर्मा ने बास्केटबाल खेल में आधा दर्जन से भी अधिक नेशनल स्पोर्ट्स में हिस्सा लेकर कई पदक व रिकार्ड अपने नाम दर्ज करवा लिए हैं। खास बात यह है कि आरुषि शर्मा हिमाचल की पहली ऐसी खिलाड़ी है, जिसने मात्र साढ़े चौदह वर्ष की आयु में सीनियर नेशनल खेलकर जिला व प्रदेश का नाम राष्ट्रीय स्तर पर चमकाया है। बिलासपुर के रौड़ा सेक्टर निवासी आरुषि शर्मा का जन्म 5 मई, 1998 में तेजस्वी शर्मा के घर पर हुआ। आरुषि ने मात्र नौ वर्ष की आयु से ही बास्केटबाल खेलना शुरू कर दिया था। बास्केटबाल कोच नीलम व श्याम से बास्केटबाल की बारीकियां सीखते हुए आरुषि ने खेलने-कूदने की उम्र में कड़ा परिश्रम करना शुरू कर दिया। आरुषि शर्मा ने वर्ष 2010 में चितौड़ व कांगड़ा में सब जूनियर खेलों में हिस्सा लिया, जबकि वर्ष 2011 में सिरसा में अंडर-16, वर्ष 2012 में इंदौर में अंडर-17, वर्ष 2013 में सोनीपत में आयोजित सीनियर नेशनल, लुधियाना में सीनियर नेशनल, कोलकाता में अंडर-17, कटक में अंडर-19 व बठिंडा में आयोजित स्कूली नेशनल में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी है। अब आरुषि आगामी 16 से 19 फरवरी तक औरंगाबाद में आयोजित पायका नेशनल अंडर-16 में अपने खेल का प्रदर्शन करेंगी।  बास्केटबाल में अपना कैरियर बनाने की हसरत मन में लेकर आरुषि सुबह पांच बजे उठकर 6 से 8 बजे तक व शाम को 5 से 7 बजे तक अभ्यास करती है। अपनी प्रतिभा के दम पर छोटी सी उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाली आरुषि इन दिनों बास्केटबाल कोच बलराज कटोच से खेल की बारीकियां सीख रही है। साथ ही पढ़ाई में भी आरुषि शर्मा हमेशा अव्वल रहती है। आरुषि के पिता तेजस्वी शर्मा पेशे से अधिवक्ता है, जबकि माता आशु शर्मा गृहिणी हैं। आरुषि का एक छोटा भाई भी है। अपने पिता तेजस्वी शर्मा जो कि हाकी के बेहतरीन खिलाड़ी रह चुके हैं, उन्हें देखकर बचपन से ही आरुषि को खेलने का शौक पैदा हुआ। इसके अलावा अपने घर के पास बने बास्केटबाल ट्रैक में खेल रहे सीनियर खिलाडि़यों को देखकर आरुषि के मन में बास्केटबाल खेलने की इच्छा पैदा हुई और उन्होंने अपने मन में ठान लिया कि उन्हें इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाना है। फिर आरुषि ने बास्केटबाल कोच नीलम व श्याम के पास प्रशिक्षण लेना शुरू किया और अपने हुनर का ऐसा जादू बिखेरा कि बहुत छोटी सी उम्र में कई नेशनल प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।  भारतीय बास्केटबाल टीम की कोच शिवा मैंगोन को अपना आदर्श मानने वाली आरुषि शर्मा को बास्केटबाल खेलने के साथ-साथ डांस व तैरने का भी बहुत शौक है। साथ ही कभी-कभी मौका लगे तो हिमाचली गीत करी लैणी पहाड़ा री सैर गीत गुनगुनाना भी आरुषि को बहुत पसंद है। आरुषि का सपना है कि वह बास्केटबाल कोच बने और भारतीय बास्केटबाल टीम की कोच के रूप में कार्य करे।
-अभिषेक सोनी, बिलासपुर
छोटी सी मुलाकात
बास्केटबॉल खेलने का शौक कैसे पैदा हुआ?
अपने पापा और दूसरे सीनियर खिलाडि़यों को खेलते देख मेरे दिल में भी खेलने की तमन्ना पैदा हुई और मैंने बास्केटबॉल खेलना शुरू किया। पहले शौक के तौर पर खेलना शुरू किया और फिर इसे अपना पैशन बना लिया।
अपनी कामयाबी का श्रेय किसे देना चाहेंगी ?
सबसे पहले अपने माता-पिता को, जिन्होंने मुझे इस क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित किया और उसके बाद मेरे कोच श्याम, नीलम व बलराज कटोच को। उन्होंने मुझे बास्केटबाल की बारीकियों से अवगत करवाया और हर समय मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
खिलाडि़यों को क्या संदेश देना चाहेंगी?
अभी मेरी बहुत छोटी सी उम्र है और  मैंने जो किया उसे अन्य बच्चे भी कर सकते हैं। जरूरत है कि अपने लक्ष्य को निर्धारित कर आगे बढ़ें।

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