इस दुनिया में हजारों ऐसे लोग हैं जो कि जन्म से किसी न किसी शारीरिक अक्षमता के शिकार हैं और इनमें से भी ऐसे लोगों की संंख्या हजारों में है जो इसके लिए हमेशा ईश्वर को कोसते रहते हैं। वहीं इनमें से कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी इस दुर्बलता को अपनी कड़ी मेहनत से बौना बना दिया है। मंडी की पैलेस कालोनी की निवासी अनुपमा शर्मा भी एक ऐसी ही आसाधारण प्रतिभा हैं, जिनके बारे में जिसे भी पता चलता है, उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होता है। अनुपमा की जिंदगी में जन्म से अंधेरा है। लेकिन उन्होंने सुरों की साधना कर जिंदगी के इस अंधेरे को दूर कर लिया है। डिग्री कालेज मंडी में संगीत गायन की प्रवक्ता अनुपमा शर्मा की जिंदगी संघर्ष की किताब है। अकसर ऐसे मामलों में जब लोग थकहार कर अपनी जिदंगी को बोझ मानना शुरू करते हैं, वहीं अनुपमा शर्मा ने अक्षमता के साथ ही संगीत की दुनिया में एक मुकाम हासिल किया है। ढेरों मुश्किलों, अंधेपन और राह के कांटों पर चलते हुए अनुपमा एक मिसाल बनी हैं। 29 सितंबर 1979 को पैलेस कालोनी में जन्मी अनुपमा शर्मा जन्म से ही देख नहीं सकती हैं। बचपन में उनके परिजन अकसर अनुपमा का दिल बहलाने के लिए रेडियो लगा देते थे। रेडियो सुनते- सुनते ही अनुपमा संगीत की तरफ खिंचती चली गईं और उनके अंदर छिपी असाधारण प्रतिभा ने बाहर आना शुरू कर दिया। थोड़े ही समय में अनुपमा के पिता हरि राम शर्मा और माता रमेश शर्मा को यह समझ आना शुरू हो गया कि अनुपमा की आंखें तो ईश्वर ने ले ली हैं, लेकिन उसे सुरों का वरदान बख्श दिया है। गायन के प्रति रुचि बढ़ने के बाद अनुपमा ने अपनी दुर्बलता को जीवन की चुनौती मानते हुए आगे बढ़ना शुरू कर दिया था। छोटी सी उम्र में अनुपमा ने स्टेज शो भी करने शुरू कर दिए। पांच साल की उम्र में अनुपमा ने जयपुर में एक संगीत प्रतियोगिता में भाग लिया और सबको अपनी आवाज से मंत्रमुग्ध करते हुए पहला स्थान प्राप्त किया। अनुपमा अब तक कितने ही शहरों में ऐसे कार्यक्रम व स्टेज शो कर चुकी हैं। अनुपमा ने देहरादून के एक विशेष स्कूल एनवीआईएच मॉडल स्कूल से बे्रल लिपि के जरिए जमा दो तक शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद भी अनुपमा का सफर नहीं रुका। जमा दो की पढ़ाई के बाद अनुपमा ने डिग्री कालेज मंडी से ग्रेजुएशन की और उसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय से संगीत में एमए व दिल्ली विश्वविद्यालय से संगीत में ही एमफिल की डिग्री भी ली। इसके बाद अनुपमा ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा पास की और उन्हें जोगिंद्रनगर कालेज में बतौर संगीत प्रवक्ता प्रथम नियुक्ति मिली। अब लगभग पिछले सात वर्षों से अनुपमा डिग्री कालेज मंडी में संगीत का ज्ञान बांट रही हैं। अनुपमा मंडी की शुक्ला शर्मा और देवकी नंदन को अपना गुरु मानती हैं। अनुपमा की संगीत साधना आज भी जारी है और वह दर्जनों बच्चों को अब तक शिक्षा दे चुकी हैं। अनुपमा कहती हंै कि उन्होंने अपने जीवन के अंधेरे को संगीत साधना से दूर किया है। संगीत ने उनके जीवन में ऐसी लौ जगाई है, जिसके आगे अब कुछ नहीं है। हाल में ही अनुपमा की शादी शिमला घटाहट्ट के प्रवीण कुमार से हुई है। अब प्रवीण अनुपमा की आंखंे बन चुके हैं। वहीं अनुपमा भी ऐसे लोगों के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं जो कि अपनी विकलांगता से हार मान लेते हैं। अनुपमा भी यह कहती हैं कि जीवन हार मानने के लिए नहीं है, चाहे कमियां हजारों क्यों न हों? अनुपमा कहती हैं कि अपनी कमियों और ईश्वर को कोसने से ज्यादा अच्छा है कि हम लडं़े और आगे बढे़ं।
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