Saturday, 22 February 2014

Pooja Thakur Sports Star

DEVENDER THAKUR    ANNITHISWEEK    MAGAZINE     ANNI

कबड्डी की पूजा से पहचान बनातीं पूजा ठाकुर

पूजा धर्मशाला होस्टल में भी कबड्डी के साथ साथ अन्य खेलों में भी भाग लेना चाहती थीं परंतु होस्टल के नियमों के अनुसार खिलाड़ी  वहां पर मात्र एक ही खेल खेल सकते थे ! होस्टल में कोच मेहर सिंह वर्मा की देख रेख में पूजा ने खेल की बारीकियों को समझा और फि र कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा । पूजा ने अपने जीवन में तीन अंतरराष्ट्रीय व 21 राष्ट्रीय मुकाबलों में भाग लिया है, जिनमे से 14 बार कप्तान के रूप में प्रदेश का नेतृत्व किया है…
utsavहिमाचल की कई खेल प्रतिभाओं ने समय- समय पर राष्ट्रीय व अंतरराष्टी्रय स्तर पर अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी है। ऐसी ही एक खेल प्रतिभा परशुराम अवार्ड विजेता बिलासपुर जिला के जुखाला क्षेत्र से हैं, जिन्होंने  कबड्डी खेल में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। बिलासपुर जिला के जुखाला क्षेत्र के स्याहुला गांव की पूजा ठाकुर का जन्म 24 फरवरी 1990 को सतपाल ठाकुर के घर हुआ। पूजा धर्मशाला होस्टल में भी कबड्डी के साथ साथ अन्य खेलों में भी भाग लेना चाहती थी, परंतु होस्टल के नियम अनुसार वहां पर मात्र एक ही खेल खेल सकते थे। होस्टल में कोच मेहर सिंह वर्मा की देखरेख में पूजा ने खेल की बारीकियां समझी और कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा । पूजा ने अपने जीवन में तीन अंतरराष्ट्रीय व 21 राष्ट्रीय मुकाबलों में भाग लिया है जिनमें से 14 बार राष्ट्रीय स्तर पर कप्तान के रूप में प्रदेश का नेतृत्व किया है। पूजा खो-खो, एथलेटिक्स व कबड्डी खेलती थीं।  विद्यालय में तैनात कोच स्व. दौलत राम ठाकुर के मार्गदर्शन में पूजा इन सब खेलों में माहिर होती जा रही थी और इस बीच वर्ष 2004 में जब पूजा नौवीं कक्षा में पढ़ती थी तब वह साई होस्टल धर्मशाला में एथलीट का ट्रायल देने गई थी। उस समय उसके साथ बिलासपुर जिला से पांच लड़कियां और ट्रायल देने गईं थी। पूजा अकेली एथलीट का ट्रायल देने गई थी, परंतु वहां पर फार्म भरते समय पूजा का नाम भी उन्होंने कबड्डी में लिख दिया और पूजा को फिर वहां पर कबड्डी का ट्रायल देना पड़ा और पूजा कबड्डी के इस ट्रायल में सिलेक्ट हो गई। पूजा ठाकुर को देश की बेस्ट रेडर के रूप में भी जाना जाता है। पूजा को हर बार कबड्डी मुकाबले में बेस्ट रेडर का खिताब मिलता था। पूजा ठाकुर वर्तमान में सोलन जिला में एक्साइज एवं टैक्सेशन विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात है। पूजा को यह जॉब स्पोर्ट्स कोटे से मिली है।  पूजा एक साधारण परिवार में जन्मी हैं उनके पिता आईपीएच विभाग में कार्यरत हैं जबकि माता गृहिणी हैं। 21 नेशनल प्रतियोगिताओं में से 14 बार पूजा ने बतौर कप्तान टीम का प्रतिनिधित्व किया और बतौर कप्तान आठ बार प्रदेश के लिए प्रथम स्थान प्राप्त कर सोना जीता। पूजा ठाकुर अपनी जीत का श्रेय अपने परिवार व कोच स्व. दौलत राम, जयपाल चंदेल, मेहर सिंह को देती हैं। जिनके मार्गदर्शन व सहयोग से वह आज इन बुलंदियों पर पहुंची हैं । पूजा ठाकुर के शानदार प्रदर्शन के चलते 14 जनवरी 2007 को हिमाचल केसरी, 21 फरवरी 2010 को ‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया ग्रुप द्वारा बेस्ट स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ  दी ईयर का खिताब देकर सम्मानित किया गया। 5 अगस्त 2012 को प्रदेश सरकार ने पूजा ठाकुर को परशुराम अवार्ड देकर सम्मानित किया व 23 अगस्त 2012 को प्रदेश सरकार ने पूजा ठाकुर को एक्साइज एवं टैक्सेशन विभाग में इंस्पेक्टर का पद देकर सम्मानित किया। वर्तमान में पूजा ठाकुर सोलन में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
छोटी सी मुलाकात
कबड्डी की तरफ रुझान कैसे बढ़ा?
खेल के प्रति रुझान बचपन से ही था और इसी के चलते  धर्मशाला साई होस्टल में ट्रायल देने पहुंची । फ ार्म भरते समय फ ार्म पर एथलीट की जगह संयोग से कबड्डी भर दिया और फि र एथलीट की जगह कबड्डी का ट्रायल देना पड़ा। जिसके बाद कबड्डी खेल को ही पैशन बना लिया!
यहां तक पहुंचने के लिए किसका योगदान अहम रहा?
मुख्य रूप से कोच मेहर सिंह वर्मा जी का, जिन्होंने मुझे इस खेल की बारीकियां सिखाईं तथा मेरे परिवार का जिन्होंने मुझे इसके लिए सपोर्ट किया। पारिवारिक सपोर्ट के बिना मैं इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाती।
खिलाडि़यों के लिए आपका क्या संदेश है?
आज के समय में खेल के क्षेत्र में बहुत सी संभावनाएं हैं। आप खेल में ही अपना कैरियर बना सकते हैं, पर खेल के साथ-साथ पढ़ाई भी जरूरी है।
अगर आपके पास खेल के साथ-साथ पढ़ाई की डिग्रियां भी होंगी तो आप एक बेहतर कैरियर बना सकती हैं।

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