Saturday, 22 February 2014

Rajshri Thakur 14

Himachal ki shaan   Rajshri  thakur

विकास का ध्वज लहराएंगी ‘राजश्री’

utsavराजश्री ठाकुर नए वर्ष 2014 से अपनी जन्मभूमि हिमाचल को गौरव प्रदेश बनाने के उद्देश्य से सिरमौर जिला के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब से सहकारिता बंधुत्व रचनात्मक आंदोलन आरंभ करंेगी। इस योजना के माध्यम से श्रमिक विकास एवं उत्तम कृषि, पशुधन विकास तथा महिला सशक्तिकरण व रोजगार को रचनात्मक कायांर्े से जोड़ने के साथ बच्चों मंे राष्ट्रभक्ति व नैतिक ज्ञान का दीप जलाया जाएगा…
देश-विदेश में समाज सेवा के क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर चुकीं नाहन की एक और बेटी राजश्री ठाकुर अब अपनी जन्मभूमि हिमाचल प्रदेश में भी नए वर्ष मंे विकास का ध्वज लहराएंगी। प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में प्रवासी श्रमिकों के बच्चों को राजश्री ठाकुर जहां नैतिक शिक्षा का ज्ञान दंेगी, वहीं झुग्गी-झांेपडि़यों में रहने वाली महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महिला स्वयं सहायता समूह के गठन के बारे में भी झांेपड़पट्टी की महिलाओं को जागृत करेंगी।  सहकारिता आंदोलन के तहत इस अभियान मंे राजश्री ठाकुर हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब, पांवटा साहिब, सोलन जिला के बीबी तथा ऊना व कांगड़ा जिला के औद्योगिक क्षेत्रों में प्रवासी श्रमिकांे के बच्चांें को स्कूलांें में नैतिक शिक्षा का ज्ञान देंगी। इसके अलावा इन औद्योगिक क्षेत्रांे में श्रमिक विद्यापीठ भी खोले जाएंगे, जिनके माध्यम से नैतिक विद्यालयों के रूप में बच्चांे को नैतिक शिक्षा प्रदान की जाएगी।  इस अभियान का शुभारंभ जिला सिरमौर के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब से प्रथम चरण में किया जा चुका है तथा कालाअंब में 350 ऐसे परिवारों का सर्वे किया गया है, जो झुग्गी-झांेपडि़यों में रहते हैं तथा प्रवासी श्रमिक के रूप में काम करते हैं।  मूल रूप से नाहन निवासी राजश्री ठाकुर भारत वर्ष के साथ-साथ पड़ोसी मुल्कों में ग्रामीण विकास का ध्वज लेकर जहां यूनिसेफ, सेेव दि चिल्ड्रन, प्राइड इंडिया, आसेफा दीपालया व कासा जैसे विश्व विख्यात गैर सरकारी विकास संस्थानों में प्रमुख पदों पर कार्य कर चुकी हैं। वर्तमान मंे राजश्री ठाकुर दिल्ली के गुड़गांव में भारतीय महिला पंचायत फोरम की अध्यक्ष के पद पर तैनात हंै। राजश्री ठाकुर नए वर्ष 2014 से अपनी जन्मभूमि हिमाचल को गौरव प्रदेश बनाने के उद्देश्य से सिरमौर जिला के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब से सहकारिता बंधुत्व रचनात्मक आंदोलन आरंभ करेंगी। इस योजना के माध्यम से श्रमिक विकास एवं उत्तम कृषि, पशुधन विकास, महिला सशक्तिकरण व रोजगार को रचनात्मक कार्यों से जोड़ने के साथ बच्चों मंे राष्ट्रभक्ति व नैतिक ज्ञान का दीप जलाया जाएगा। ‘दिव्य हिमाचल’ से बातचीत में नाहन में राजश्री ठाकुर ने बताया कि वह मल्टीनेशनल कंपनी के शैक्षणिक कार्यक्रम में जुड़ी हुई हैं तथा मार्च तक उनका अनुबंध इस कंपनी के साथ पूरा हो जाएगा। उन्हांेने कहा कि वह अब हिमाचल प्रदेश मंे बुनियादी तालीम संस्कार योजना का लाभ विभिन्न जिलों में नीतिगत योजना के तहत बांटेंगी। इस योजना का प्रारंभ जिला सिरमौर के हरियाणा से जुड़े औद्योगिक नगरी कालाअंब से किया जाएगा।  उन्होंने कहा कि जिला सिरमौर के बाद इस अभियान से पड़ोसी जिला सिरमौर को जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि हिमालय के अग्रणी प्रदेश हिमाचल का सामाजिक व सांस्कृतिक गौरव महान ऐतिहासिक गाथाओं से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि इन गाथाओं को युवा पीढ़ी तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर पहुंचाया जाएगा। राजश्री ठाकुर कहती हैं कि ‘बदल दो तकदीर गांव से ऐसी की हिंदुस्तान बदल जाए।’
अपने कार्यों से हुइर्ं सम्मानित
अपने जीवन के 40 बसंत जनसेवा में बिताने वाली यह महिला हरियाणा के राजभवन चंडीगढ़ में 2005 में महामहिम हरियाणा से समाज गौरव सम्मान एवं दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से एक कुशल समाज विकास शिल्पी समाज विज्ञानी का नैतिक सम्मान तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिहं रूरल एजुकेशन डिवेलपमेंट अवार्ड 2007 मे करनाल अधिवेशन में राष्ट्रीय पुरस्कार ले चुकीं ग्रामीण भारत विकास यात्रा में अनेक ख्यातियां अर्जित कर चुकी हैं । हिमाचल से अपनी स्नातक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह हिमाचल प्रदेश चाइल्ड वेलफेयर काउंसिल में 1977 में स्टेट आर्र्गेनाइजर पद से जीवन आरंभ करने वाली यह साहसी महिला युनिसेफ स्पे परियोजना भूटान नेपाल के लिए 1980 में सफल ग्रामीण विकास में भूटान देश के शाही परिवार से भारतीय महिला आदर्श  के सम्मान से सम्मानित ही नहीं अपितु शाही परिवार की शिगमे जिगमे वान्चुक की महारानी की ओर विशेष भोज से सम्मानित की गइर्ं ।
छोटी सी मुलाकात
समाज सेवा मंे आपका रुझान कैसे बढ़ा?
समाज के गरीब तबके की दयनीय हालत व इस वर्ग के लोगों मंे शिक्षा की कमी मुझे समाज सेवा में ले आई।
समाज सेवा का कार्य कितना कठिन महसूस होता है?
मुझे आदिवासी लोगों के साथ-साथ समाज के अत्यंत ही पिछड़े व असहाय लोगांे की मदद करने में जो संतुष्टि मिलती है, उसमंे कठिनाइयां अपने आप ही दूर हो जाती हैं।
 समाज सेवा के दौरान परिवार से तालमेल कैस बना पाती हैं?
समाज का अनदेखा व पिछड़ा वर्ग जब साथ होता है तो उन्हीं को अपने परिवार के सदस्य की तरह अपने साथ जोड़ लेती हूं। केवल टेलीफोन पर ही इस दौरान परिजनों से बात हो पाती है।
देश के विभिन्न राज्यों में आदिवासी लोगों के साथ क्या कठिनाइयां पेश आईर्ंं।
मध्य प्रदेश के पंचमढ़ी की पहाडि़यां, महाराष्ट्र का विदर्भ या फिर गोवा व राजस्थान के आदिवासी क्षेत्र हर जगह शिक्षा ही तालमेल बिठाने में योगदान करती है।
युवा पीढ़ी के लिए आपका क्या संदेश है।
आज का युवा समाज सेवा से दूर भाग रहा है। अपना व अपने परिवार का कार्य तो सभी करते हैं परंतु युवाआंे को चाहिए कि दीन-दुखियों, पिछड़े वर्गों व गरीब लोगों की मदद में भी हाथ आगे बढ़ाएं।

No comments:

Post a Comment