hatu mandir मंदिर नारकंडा
किंवदंतियों के अनुसार हाटू मंदिर को पांडवों ने बनाया था। हाटू में भीम द्वारा बनाया गया विशाल चूल्हा इस बात का गवाह है, जो आज भी स्थानीय लोगों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। नारकंडा का नाम नारकंडा क्यों पड़ा इसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर स्थानीय लोग कंडा किसी छोटी पहाड़ी को कह देते हैं और यहां इस पहाड़ी पर नाग देवता का मंदिर था…
शिमला से 65 किलोमीटर दूर है हाटू मंदिर। यात्री वाया नारकंडा होकर मंदिर पहुंच सकते हैं। नारकंडा से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर ही हाटू मंदिर स्थित है। यह मंदिर पूरा का पूरा लकड़ी से बना है। इस मंदिर को बनाने में करीब तीन साल लगे और इसे स्थानीय कारीगरों ने बनाया है। किंवदंतियों के अनुसार हाटू मंदिर को पांडवों ने बनाया था। हाटू में भीम द्वारा बनाया गया विशाल चूल्हा इस बात का गवाह है जो आज भी स्थानीय लोगों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। नारकंडा का नाम नारकंडा क्यों पड़ा इसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर स्थानीय लोग कंडा किसी छोटी पहाड़ी को कह देते हैं और यहां इस पहाड़ी पर नाग देवता का मंदिर था। इसलिए इसे नागकंडा या नारकंडा कहा जाने लगा। नारकंडा की पहाडि़यों की चोटी पर जमी बर्फ उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती है और ये सारे पहाड़ हिमाचल की शोभा बढ़ाते हैं। नारकंडा की उत्तरी दिशा में नीचे है सतलुज घाटी और इसके पीछे है बर्फीले पर्वत। नारकंडा जिस जगह पर है वह जल-विभाजक उत्तरी सतलुज और गिरि नदी के बीच में पड़ता हैं। नारकंडा साहसिक खेलों जैसे स्कींग के लिए भी बढि़या जगह है। नारकंडा का बेहतर नजारा देखने की सबसे बढि़या चोटी है हाटू चोटी, यह नारकंडा से लगभग दो हजार फीट की ऊंचाई पर है और ट्रैकिंग द्वारा सिर्फ एक घंटे का सफर है। नारकंडा में एक पहाड़ी पर जिसे हाटू पीक कहा जाता है यहां पर हाटू मंदिर स्थित है । काली मां का यह मंदिर और पहाड़ी करीब 2500 मीटर की उंचाई पर स्थित हैं।
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